Mother's day की शुरूवात कैसे हुई। जानिए-
यूरोप में प्लेटो के समय से पहले ही एक परम्परा चलती आ रही है कि वहाँ की महिलाएँ बच्चों को मिशनरी में छोड़ आती थी अनाथ हुए बच्चों को मिशनरी सिस्टर्स पाला करती है। तो यूरोप की महिलाएँ साल में किसी एक दिन के लिए उन मिशनरी में जाती है और उन बच्चों को स्तनपान कराती थी।और उनको एक दिन के लिए माँ बनने की फॉर्मेलिटी करती है और उस दिन को वो महिलाएँ mother's day मनाती है। यही mother's day का इतिहास और परंपरा है।
वास्तविकता यही है कि शादी के बाद स्त्री और पुरुष का खुद का पूर्ण अंश या सम्मान नहीं होता बल्कि आधा आधा बंटा होता है।
यदि किसी पुरुष का पूर्ण सम्मान करना होतो उसकी पत्नी का भी सम्मान करना होगा। यदि पत्नी का पूर्ण सम्मान करना है तो उसके पति का भी सम्मान करना होगा।
इसलिए भारत मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता है जो साथ में मनाया जाता है।
आप किसी पेड़ को पानी देना चाहे तो उसके साथ आपको धरती को भी पानी देना होगा क्योंकि पेड़ और धरती आपस में जुड़े हुए है ऐसे ही मातृ पितृ पूजन ही सार्थक है।
कृपया आपको जन्म देनें में,पालन पोषण में दोनों का योगदान रहा है इसलिए मातृ-पितृ दिवस मनाईये। जिसमें दोनों साथ हो।
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पुनः धन्यवाद।
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